आँखों का एहतराम तो उनकी नमी पे है
अब छोड़ दिया फैसला जो है तुमी पे है।
शराफत का आसमान बड़ी दूर तलक है
बादल मगर गुनाह का आना जमीं पे है।
मदमस्त जवानी है मगर याद रहे ये
दारोमदार मुल्क का सारा हमीं पे है।
आँखों का एहतराम तो उनकी नमी पे है
अब छोड़ दिया फैसला जो है तुमी पे है।
शराफत का आसमान बड़ी दूर तलक है
बादल मगर गुनाह का आना जमीं पे है।
मदमस्त जवानी है मगर याद रहे ये
दारोमदार मुल्क का सारा हमीं पे है।