मेरे पास वक़्त नहीं है उन लोगों से नफरत करने का, जो मुझसे नफरत करते हैं,
क्यों की, में मसरूफ रहता हूँ उन लोगों में जो मुझ से मोहब्बत करतें हैं।
जब मुझे पता चला की मखमल के बिस्तर और ज़मीन पर सोने वालों के ख्वाब एक जैसे
और क़बर भी एक जैसी होती है तो मुझे अल्लाह के इंसाफ पर यकीन आ गया।
खाक से बने इंसान में अगर खाक्सारी (विनम्रता) ना हो तो उसका होना, ना होना बराबर है।
मौत और मोहब्बत दोनों ही बिन बुलाये मेहमान होते हैं, फ़र्क़ सिर्फ इतना होता है की,
मोहब्बत दिल ले जाती है और मौत धड़कन।
Sheikh Saadi — शेख सादी