मन बे-मायः कि बाशम कि ख़रीदार-ए-तू बाशम
हैफ़ बाशद कि तू यार-ए-मन-ओ-मन यार-ए-तू बाशम
तू मगर साय:-ए-लुत्फ़-ए-ब-सर-ए-वक़्त-ए-मन आरी
कि मन आँ मायः नदारम कि ब-मिक़्दार-ए-तू बाशम
ख़ेशतन बर तू न बंदम कि मन अज़ ख़ुद न पसंदम
कि तू हरगिज़ गुल-ए-मन बाशी व मन ख़ार-ए-तू बाशम
हरगिज़ अंदेशः न कर्दम कि कमंदत ब-मन उफ़्तद
कि मन आँ वक़्अ’ नदारम कि गिरफ़्तार-ए-तू बाशम
मन चे शाइस्त:-ए-आनम कि तुरा ख़्वानम-ओ-दानम
ब-करम हम तू ब-बख़्शी कि सज़ावार-ए-तू बाशम
गरचे दानम कि ब-वस्लत न रस्म बाज़ न गर्दम
ता दरीं राह ब-मीरम कि तलब-गार-ए-तू बाशम
ख़ाक बादा तन-ए-‘सा’दी’ चु तू ऊ रा न पसंदी
कि न-शायद कि तू फ़ख़्र-ए-मन व मन आ’र-ए-तू बाशम