पनाह मेरी यार मेरे, शौक की फटकार मेरे,
मालिको मौला भी हो, और हो पहरेदार मेरे
नूह तू ही रूह तू ही, कुरंग तू ही तीर तू ही,
आस ओ उम्मीद तू है, ग्यान के दुआर मेरे
नूर तू है सूर तू, दौलते-मन्सूर तू,
बाजेकोहेतूर तू, मार दिए ख़राश मेरे ।
कतरा तू दरिया तू, गुंचा-ओ-खार तू,
शहद तू ज़हर तू, दर्द दिए हज़ार मेरे ।
सूरज का घरबार तू, शुक्र का आगार तू,
आस का परसार तू, पार ले चल यार मेरे ।
रोज़ तू और रोज़ा तू, मँगते की खैरात तू,
गागरा तू पानी तू, लब भिगो इस बार मेरे ।
दाना तू ओ जाल तू, शराब तू ओ जाम तू,
अनगढ़ तू तैयार तू, ऐब दे सुधार मेरे ।
न होते बेखुदी में हम, दिल में दर्द होते कम,रा
ह अपनी चल पड़े तुम, सुने कौन आलाप मेरे