माना वो छुपने वाला हर दिल में छुप जाएगा
लेकिन ढूँढने वाला भी ढूँडेगा और पाएगा
क्या होता है मोहब्बत में ये मुझ को मालूम नहीं
जिस ने आग लगाई है वही आग बुझाएगा
मैं तो नाम का माली हूँ फूलों का रखवाला हूँ
जिस ने बेल लगाई है ख़ुद परवान चढ़ाएगा
जिस ने ख़िज़ाँ को भेजा है उस के पास बहार भी है
जिस ने बाग़ उजाड़ा है वो ख़ुद फूल खिलाएगा
‘अफ़सर’ मेरे कानों में जैसे कोई ये कहता है
वो सरकार हमारी है बे-माँगे भी पाएगा