ख़ाली है अभी जाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
ऐ गर्दिश-ए-अय्याम मैं कुछ सोच रहा हूँ
साक़ी तुझे इक थोड़ी सी तकलीफ़ तो होगी
साग़र को ज़रा थाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
पहले बड़ी रग़बत थी तिरे नाम से मुझ को
अब सुन के तिरा नाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
इदराक अभी पूरा तआ’वुन नहीं करता
दय बादा-ए-गुलफ़ाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
हल कुछ तो निकल आएगा हालात की ज़िद का
ऐ कसरत-ए-आलाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
फिर आज ‘अदम’ शाम से ग़मगीं है तबीअ’त
फिर आज सर-ए-शाम मैं कुछ सोच रहा हूँ