सीने में दिल है दिल में दाग़ दाग़ में सोज़-ओ-साज़-ए-इश्क़
पर्दा-ब-पर्दा है निहाँ पर्दा-नशीं का राज़-ए-इश्क़
नाज़ कभी नियाज़ है और नियाज़ नाज़-ए-इश्क़
ख़त्म हुआ न हो कभी सिलसिला-ए-दराज़-ए-इश्क़
इश्क़ अदा-नवाज़-ए-हुस्न हुस्न करिश्मा-साज़-ए-इश्क़
आज से क्या अज़ल से है हुस्न से साज़-बाज़-ए-इश्क़
अपनी ख़बर कहाँ उन्हें जिन पे खुला है राज़-ए-इश्क़
सारे शुऊर मिट गए जब हुआ इम्तियाज़-ए-इश्क़
होश-ओ-ख़िरद भी अल-फ़िराक़ ”बैनी-व-बैनका” कहें
हज़रत-ए-दिल का ख़ैर से है सफ़र-ए-हिजाज़-ए-इश्क़
पीर-ए-मुग़ाँ के पा-ए-नाज़ और मिरा सर-ए-नियाज़
होती है मय-कदे में रोज़ अपनी यूँही नमाज़-ए-इश्क़
हसरत-ओ-यास-ओ-आरज़ू शौक़ का इक़्तिदा करें
कुश्ता-ए-ग़म की लाश पर धूम से हो नमाज़-ए-इश्क़
इश्क़ की ज़ात ही से है ख़ूबी-ए-हुस्न-ओ-शान-ए-हुस्न
हुस्न के दम-क़दम से है सारा ये सोज़-ओ-साज़-ए-इश्क़
ऐ दिल-ए-दर्दमंद फिर नाला हो कोई दिल-गुदाज़
सूनी पड़ी है बज़्म-ए-शौक़ छेड़ दे अपना साज़-ए-इश्क़
होश-ओ-ख़िरद अदू-ए-इश्क़ इश्क़ है दुश्मन-ए-ख़िरद
है न हुआ न हो कभी अक़्ल से साज़-बाज़-ए-इश्क़
‘बेदम’-ए-ख़स्ता है कहाँ अस्ल में कोई और है
ज़मज़मा-संज बे-ख़ुदी नग़्मा-तराज़ साज़-ए-इश्क़