या रब सूए मदीना मस्ताना बन के जाऊं
उस शमअे़-दो-जहां का परवाना बन के जाऊं
उनके सिवा किसी की दिल में न आरज़ू हो
दुनियां की हर तलब से बेगाना बन के जाऊं
हर गाम एक सजदा, हर गाम या ह़बीबी
इस शान, इस अदा का मस्ताना बन के जाऊं
पोहंचूं मदीने काश ! मैं इस बेख़ुदी के साथ
रोता फिरूं गली गली दीवानगी के साथ
जूं ही निग़ाह गुम्बदे-ख़ज़रा को चूमले
क़ुर्बान मेरी जान हो वारफ्तगी के साथ
मुझ को बक़ी-ए-पाक में दो गज़ ज़मीं मिले
या रब दुआ है तुझ से मेरी आजिज़ी के साथ
या रब सूए मदीना मस्ताना बन के जाऊं
उस शमए-दो जहां का परवाना बन के जाऊं
बेहज़ाद अपना आलम समझेगा क्या ज़माना
है फ़ेहम का तकाज़ा दीवाना बन के जाऊं