अल्फ़ाज़ नहीं मिलते सरकार को क्या कहिये
जिब्रील सलामी दे दरबार को क्या कहिये
बस एक पलक झपकी मेअराज हुई पूरी
उस साहिबे-रिफ़अत की रफ़्तार को क्या कहिये
एक एक सहाबी पर फ़िरदौस भी नाज़ां है
सिद्दीक़ उमर उस्मां क़र्रार को क्या कहिये
वो ग़ार के जिसने एक तारीख़ बनाई है
उस ग़ार को क्या कहिये, उस यार को क्या कहिये
नज़्मी तेरी नातों का अंदाज़ निराला है
मज़मून अनोखे हैं, अशआर को क्या कहिये
अल्फ़ाज़ नहीं मिलते सरकार को क्या कहिये
जिब्रील सलामी दे दरबार को क्या कहिये