हुआ है ज़माना, ख़राब इस क़दर
रहा मत करो, बे-नक़ाब इस कदर
सदा इस शहर में ,जो महकता रहे
कोई खिल,सका ना,गुलाब इस कदर
रहेगी ख़ुमारी , हमें ,ये ता-उमर
पिलायी है उसने ,शराब इस कदर
सदा साथ सच के ,चले ,गिरे ,उठे
कहाँ हम हुए, क़ामयाब इस कदर
सजाये नहीं ,फिर क़भी निग़ाहों ने
गया तोड़ करके,वो ख़वाब इस कदर