Bo Ajab Ghadi Thi by: admin In Shayari वो अजब घड़ी थी मैं जिस घड़ी लिया दर्स नुस्ख़ा-ए-इश्क़ का कि किताब अक़्ल की ताक़ पर जूँ धरी थी त्यूँ ही धरी रही