पत्तियां लिखूंगी मैं शाम नूं, पिया मैनूं नज़र ना आवे ।
आंगन बना ड्राउणा, कित बिध रैन वेहावे ।
कागज़ करूं लिख दामने, नैन आंसू लाऊं ।
बिरहों जारी हौं जारी, दिल फूक जलाऊं ।
पांधे पंडत जगत के, पुच्छ रहियां सारे ।
बेद पोथी क्या दोस है, उलटे भाग हमारे ।
नींद गई किते देस नूं, उह भी वैरन हमारे ।