Ishq Shayri “प्यार” शब्द ऐसा शब्द है जिसका नाम सुनकर ही हमें अच्छा महसूस होने लगता है,प्यार शब्द में वो एहसास है जिसे हम कभी नहीं खोना चाहते।इस शब्द में ऐसी पॉजिटिव एनर्जी है जो हमें मानसिक और आंतरिक खुशी प्रदान करती है।
वो बिगड़ना वस्ल की रात का वो न मानना किसी बात का
वो नहीं नहीं की हर आन अदा तुम्हें याद हो कि न याद हो
जिसे आप गिनते थे आश्ना जिसे आप कहते थे बा-वफ़ा
मैं वही हूँ ‘मोमिन’-ए-मुब्तला तुम्हें याद हो कि न याद हो
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो
वही या’नी वा’दा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो
शेर-ओ-शायरी या सुख़न
Ishq Shayri जिसमें उर्दू-हिन्दी भाषाओँ में कविताएँ लिखी जाती हैं। शायरी में संस्कृत, फ़ारसी, अरबी और तुर्की भाषाओँ के मूल शब्दों का मिश्रित प्रयोग किया जाता है। शायरी लिखने वाले कवि को शायर या सुख़नवर कहा जाता है।
दिवाना हर शख़्स को बना देता है इश्क़,
सैर जन्नत की करा देता है इश्क़,
मरीज हो अगर दिल के तो कर लो इश्क़,
क्योंकि धड़कना दिलों को सिखा देता है इश्क़।
चलते थे इस जहाँ में कभी… सीना तान के हम,
ये कम्बख्त इश्क़ क्या हुआ घुटनो पे आ गए हम।
गजल-ए-उल्फत पढ़ लिया करो,
एक खुराक सुबह एक खुराक शाम,
ये वही दवा है जिससे,
बीमारे-इश्क को मिलता है तुरंत आराम।