Kabhi Samt-e-Gaib si Kya Hua by: admin In Shayari, Siraj Aurangabadi कभी सम्त-ए-ग़ैब सीं क्या हुआ कि चमन ज़ुहूर का जल गया मगर एक शाख़-ए-निहाल-ए-ग़म जिसे दिल कहो सो हरी रही