करम तुम्हारा रहेगा आक़ा, हम आसियों का यही गुज़ारा
तुम्हारे दर पे पड़े रहेंगे, तुम्ही ग़रीबो का हो सहारा
तुम्ही हमारे हो शाफ-ए-मेहशर, तुम्ही हमारे ग़रीब-परवर
न भूले दुनियाँ में जब हमें तुम, तो सारा मेहशर ही है तुम्हारा
हाँ ! सदक़ा आले-अ़ली का दे दो, तुम अपने हर एक वली का दे दो
हाँ ! दे दो सदक़ा-ए-ज़हरा दे दो, हाँ ! सब से आली है घर तुम्हारा
करम ये रब ने किया है हम पर, बनाया इस ने तुम्हारा है दर
बताओ जाऊं कहाँ मैं दर-दर, है कौन आक़ा मेरा सहारा
है मेरा ईमां ये सब से आली, मैं अपने मुर्शिद का हूँ सुवाली
हाँ ! नाम-ए-अ़त्तार है जहां में, वही तो सब से तुम्हारा प्यारा
खड़ा है मीज़ान पे ये अयां, कहाँ हो आक़ा फंसी है ये जां
नहीं है हुस्ने-अ़मल, हाँ ! लेकिन, ये बस तुम्हारा है बस तुम्हारा
करम तुम्हारा रहेगा आक़ा, हम आसियों का यही गुज़ारा
तुम्हारे दर पे पड़े रहेंगे, तुम्ही ग़रीबो का हो सहारा