नार-ए-ख़्वाजा, ग़रीब नवाज़, ग़रीब नवाज़
नार-ए-ख़्वाजा, ग़रीब नवाज़, ग़रीब नवाज़
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
जिस की है शहन्शाही अजमेर में बैठा है
मस्त-कलंदर, सूफ़ी, अत्तारी, क़ादरी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
नक़्शबन्दी, सोहरवर्दी, चिश्ती, फरीदी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
आमदे-पंजतन हो रही है, हर तरफ रोशनी रोशनी है
सारे वलियों का मेला लगा है, मेरे ख़्वाजा पिया की छटी है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
मिल गई मुझ को ख़्वाजा की निस्बत, मिल गई जैसे दुनिया में जन्नत
लाज रखी है ख़्वाजा पिया ने, खोटी क़िस्मत हमारी खरी है
जिस की है शहंशाही अजमेर में बैठा है
मस्त-कलंदर, सूफ़ी, अत्तारी, क़ादरी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
नक़्शबन्दी, सोहरवर्दी, चिश्ती, फरीदी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
मस्त सूफ़ी क़लन्दर है आए, शाहे-संजर की महफ़िल सजी है
बट रहा है मुहम्मद का सदक़ा, झोली सब की भरी जा रही है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
ज़िन्दगी मेरे ख़्वाजा के दम से, बस नवाज़ा करम ही करम से
मेरा मुर्शिद है अजमेर वाला, उनकी सूरत नज़र में बसी है
जिस की है शहन्शाही अजमेर में बैठा है
मस्त-कलंदर, सूफ़ी, अत्तारी, क़ादरी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
नक़्शबन्दी, सोहरवर्दी, चिश्ती, फरीदी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
ज़िक्रे ख़्वाजा पिया का वज़ीफ़ा, मेरी बख़्शिश का है ये वसीला
पंजतन पाक का लाल है ये, बाग़े-ज़हरा की ये तो कली है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
मस्त-कलंदर, सूफ़ी, अत्तारी, क़ादरी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
नक़्शबन्दी, सोहरवर्दी, चिश्ती, फरीदी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है