जब गुनाह के बावजूद अल्लाह की नेअमते मुसलसल तुझे मिलती रहे तो तु होशियार हो जाना के तेरा हिसाब करिब और सख्त तरिन है हज़रत अली
कोई गुनाह लज्जत के लिए मत करना क्यो की लज्जत खत्म गुनाह बाकी रहेगा और कोई नेकी तकलीफ की वजह से मत छोड ना क्यो की तखलीफ खत्म हो जायेगी पर नेकी बाकी रहेगी
एक ज़माना ऐसा भी आएगा कि लोग अपने रब को भुल जाएंगे,लिबास बहुत क़ीमती पहन कर बज़ार में अकड़ कर चलेंगे और इस बात से बेखबर होंगे के उसी बाज़ार में उन का कफन मौजूद है ।
जाहिल के सामने अक़्ल की बात मत करो पहले वो बहस करेगा फिर अपनी हार देखकर दुश्मन हो जायेगा
जब नेमतों पर शुक्र अदा किया जाए तो वह कभी ख़त्म नही होती ।