Bahadur Shah Zafar
जन्म: | 24 October 1775 Delhi, Mughal Empire |
मृत्यु: | 7 November 1862 (aged 87) Rangoon, British Burma |
पिता (Father) | अकबर द्वितीय |
माता (Mother) | लाल बाई |
दादा (Grand-father) | आलम अली गौहर बहादुर |
दादी (Grand-mother) | नवाब कुदसिया बेगम साहिबा |
पत्नी (Wife) | अशरफ महल,बेगम अख्तर महल,बेगम जीनत महल और बेगम ताज महल |
भाई (Brother) | सौतेले भई- फरजाना जेब उन-निस्सा,खैर-उन-निस्सा,बीबी फैज़ बक्श और बेगम उम्दा |
पुत्र(22) (Son) | मिर्ज़ा मुगल,मिर्ज़ा जवान बख्त,मिर्ज़ा शाह अब्बास,मिर्ज़ा फ़तेह-उल-मुल्क बहादुर बिन बहादुर,मिर्ज़ा खिज्र सुल्तान,मिर्ज़ा दारा बख्तमिर्ज़ा उलुघ ताहिर |
पुत्री (32) (Daughters) | बेगम फातिमा सुल्तान,राबेया बेगम,रौनक ज़मानी बेगम,कुलसुम ज़मानी बेग, |
ग्रांडसन (Grand-son) | मिर्ज़ा अबू बख्त,जमशीद बख्त |
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Bahadur Shah Zafar
बहादुर शाह जफर भारत के अंतिम मुगल सम्राट थे जिनका जन्म 1775 में दिल्ली में हुआ था। जन्म के बाद उनका नाम अबू जफर सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह जफर रखा गया था, लेकिन वे बहादुर शाह जफर के रूप में अधिक लोकप्रिय थे। उनके पिता अकबर शाह थे और उसकी माँ लालबाई थी। वे उस मुगल राजवंश के अंतिम शासक थे, जिसने लगभग 300 वर्षों तक भारत पर शासन किया था। उन्होंने अंग्रेजों की बढ़ती शक्ति के कारण मजबूती के साथ अपने साम्राज्य पर शासन नहीं किया।
साहित्यिक जीवन
बहादुर शाह जफर के शासनकाल के दौरान, उर्दू शायरी विकसित हुयी और अपने चरम पर पहुच गयी। अपने दादा और पिता, जो कवि भी थे, से प्रभावित होकर उन्होंने भी खुद में यह रचनात्मक कौशल विकसित किया। उन्होंने साहित्यिक क्षेत्र में भी योगदान दिया। उनकी कविता ज्यादातर प्रेम और रहस्यवाद के इर्दगिर्द रहती थी। उन्होंने ब्रिटिश द्वारा दिए उस दर्द और दुख के बारे में भी लिखा जिसका उन्होंने सामना किया था।
भारत में आजादी की पहली लड़ाई
बहादुरशाह जफर के नेतृत्व में 1857 में शुरू हुयी थी। स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा उन्हें कमांडर-इन-चीफ के रूप में नियुक्त किया गया था। प्रारंभ में विद्रोह काफी सफल रहा था, लेकिन बाद में यह शक्तिशाली ब्रिटिश सेना द्वारा कुचल दिया गया और बहादुर शाह जफर को परास्त कर दिया था। विद्रोह की असफलता के बावजूद क्रांतिकारी बहादुर शाह जफर को ही भारत के सम्राट के रूप में मानते रहे। जफर अपने तीन बेटों और पोतों के साथ दिल्ली में हुमायूं के मकबरे में छिपे हुए थे जब ब्रिटिश सेना ने आकर उनके बेटों और पोतों मौत के घात उतार दिया और उनपर विश्वासघात का आरोप लगाया गया था।