Mohammad Ibrahim Zauq
जन्म | 1789 दिल्ली |
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मृत्यु | 1854 दिल्ली, ब्रिटिश इंडिया |
उपनाम | ज़ौक़ |
व्यवसाय | कवि |
राष्ट्रीयता | मुग़ल साम्राज्य |
अवधि/काल | 1837-1857 |
विधा | गज़ल, क़सीदा, मुखम्मस |
विषय | प्रेम |
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Diwan-e-Zauq
Ghazaliyat-e-Zauq
Qasayed-Zauq
मशहूर शायर मोहम्मद इब्राहिम ज़ौक़ का असली नाम शेख़ इब्राहिम था। ग़ालिब के समकालीन शायरों में ज़ौक़ काफी ऊपरी दर्जा रखते हैं। उनका जन्म 1789 में दिल्ली के एक सिपाही शेख़ मुहम्मद रमज़ान के घर हुआ। ज़ौक़ बेहद नरम मिजाज के थे और उनकी याददाश्त बहुत तेज थी। उर्दू-फ़ारसी की कविता की जितनी किताबें उन्होंने पढ़ीं, उन्हें उन्होंने अपने दिमाग में इस तरह सुरक्षित रखा हुआ था कि हवाला देने के लिए किताबों की जरूरत नहीं पड़ती थी। उन्होंने बहुत-सी उम्दा रचनाएं कीं।
कुछ पंक्तियां
- मर्ज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे
- न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे
- तुम जिसे याद करो फिर उसे क्या याद रहे
- न ख़ुदाई की हो परवा न ख़ुदा याद रहे
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएंगे मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएंगे