Sahir Ludhianvi
जन्म | अब्दुलहयी 8 मार्च 1921 लुधियाना, भारत |
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मृत्यु | 25 अक्टूबर 1980 (उम्र 59) बंबई, भारत |
व्यवसाय | कवि, गीतकार |
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Kulliyat-e-Sahir
Sahir Ludhianvi
साहिर लुधियानवी, वह जादूगर जो शब्दों को इस तरह से लिखता था, पिरोता था की वह सीधे दिल में उतर जाते थे | बल्कि आज भी उनके शायरी के लाखो दीवाने है | साहिर फिल्म इंडस्ट्री से करीब ३ दशक तक जुड़े रहे इस वक़्त में आपने सेकड़ो मशहूर गीत लिखे जो की आज भी हिन्दुस्तानी लोगो के दिलो पर राज़ कर रहे है | आपके कुछ गाने तो इस कदर मशहूर हुए की उन्हें आज भी गया और गुनगुनाया जाता है | वैसे भी पुराने गीतों की बात ही कुछ और है |
Safre Zindagi Sahir Ludhianvi
माहन शायर साहिर लुधियानवी ( Sahir Ludhianvi ) का जन्म 8 मार्च 1921 को पंजाब के लुधियाना शहर में ज़मींदार परिवार में हुआ था। साहिल के बचपन का नाम अब्दुल हई था। इस नाम के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। यूं तो ये नाम कुरान में शिद्दत से लिया जाता है किन्तु इस नाम को रखने का कारण कुछ और ही था।
वह घर जहा साहिर जन्मे थे लाल पत्थर की हवेली है जो लुधियाना के पास में करीमपुर में स्थित है | इस पर मुग़ल स्थापत्य की छाप है और यह यहाँ का मुग़ल दरवाजा बताता है |
Sahir Ludhianvi Shayari Ka Agaz
बचपन में एकबार एक मौलवी ने कहा कि ये बच्चा बहुत होशियार और अच्छा इंसान बनेगा। ये सुनकर मां के मन में सपने जन्म लेने लगे कि वह अपने बेटे को सिविल सर्जन या जज बनायेंगी। जाहिर है अब्दुल का जन्म जज या सिविल सर्जन बनने के लिये नही हुआ था। विधी ने तो कुछ और ही लिखा था। बचपन से ही वो शेरो-शायरी किया करते थे और उनका शौक दशहरे पर लगने वाले मेलों में नाटक देखना था। साहिर अपनी मां को बहुत मानते थे और तहे दिल से उनकी इज्जत करते थे। उनकी कोशिश रहती थी कि मां को कोई दुःख न हो।