अभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ ख़ल्वत में
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैं ने
Achchha Hain Dil Ke Sath Rahe
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल
लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
Apna Nhi Hai
अपना नहीं ये शेवा कि आराम से बैठें
उस दर पे नहीं बार तो का’बे ही को हो आए
Bo Ajab Ghadi Thi
वो अजब घड़ी थी मैं जिस घड़ी लिया दर्स नुस्ख़ा-ए-इश्क़ का
कि किताब अक़्ल की ताक़ पर जूँ धरी थी त्यूँ ही धरी रही
Har Sans
हर साँस किसी मरहम से कम ना थी
मैं जैसे कोई ज़ख़्म था भरता चला गया
Puchh mujhse haqeeqat
Puchh mujhse haqeeqat e shab e gam
Tu to roo roo kar so gaya hoga
Tere hote huye bhi gumshum hun
Tu chala jaye ga to kya hoga
Nazer e Tagaful e yaar ka gilaa
नज़र-ए-तग़ाफ़ुल-ए-यार का गिला किस ज़बाँ सीं बयाँ करूँ
कि शराब-ए-सद-क़दह आरज़ू ख़ुम-ए-दिल में थी सो भरी रही
Meri wada noshi ke waste
Meri wada noshi ke waste
Koi qaid e jaam o suboo’n nahi
Mujhe kaif raheta har ghadi
Ye nigah e yaar ki baat hai
Hai dafan mujh main
Hai dafan mujh main
Kitni raunakein mat poochh
Har baar ujad ke bhi basta raha
Bo shehar hoon main
Hamara Azme Safar kab kidhar ka ho jaye
हमारा अज्म़ -ए – सफ़र कब किधर का हो जाये
यह वो नहीं जो किसी रहगुज़र का हो जाये
खुली हवाओं में उड़ना तो उसकी फ़ितरत है
परिन्दा क्यों किसी शाख़ – ए – शजर का हो जाये