तू हज़ार बार भी रूठे तो मना लूँगा तुझे
मगर देख मोहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो
किस्मत यह मेरा इम्तेहान ले रही है
तड़पकर यह मुझे दर्द दे रही है
दिल से कभी भी मैंने उसे दूर नहीं किया
फिर क्यों बेवफाई का वह इलज़ाम दे रही है
वापस लौट आया है हवाओं का रुख मोड़ने वाला
दिल में फिर उतर रहा है दिल तोड़ने वाला
जो शख्स तेरे तसव्वुर से हे महक जाये
सोचो तुम्हारे दीदार में उसका क्या होगा
सांसों की डोर छूटती जा रही है
किस्मत भी हमे दर्द देती जा रही है
मौत की तरफ हैं कदम हमारे
मोहब्बत भी हम से छूटती जा रही है