सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है | —शैख़ सादी
जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं। —शैख़ सादी
गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है | —शैख़ सादी
अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। —शैख़ सादी
इंसान अगर लोभ को ठुकरा दे तो बादशाह से भी ऊंचा दर्जा हासिल कर सकता है, क्योंकि संतोष ही इंसान का माथा हमेशा ऊंचा रख सकता है। —शैख़ सादी
अज्ञानी आदमी के लिये खामोशी से बढ़कर कोई चीज नहीं, और अगर उसमें यह समझने की बुद्धि है तो वह अज्ञानी नहीं रहेगा। —शैख़ सादी
वाणी मधुर हो तो सब कुछ वश में हो जाता है, अन्यथा सब शत्रु बन जाते हैं। —शैख़ सादी