या तो मैं सच कहता हूं
या फिर चुप ही रहता हूं
बहुत नहीं तैरा, लेकिन
ख़ुश हूं, कम ही बहता हूं
डरते लोगों से डर कर
सहमा-सहमा रहता हूं
बाहर दीवारें चुन कर
भीतर-भीतर ढहता हूं
कुछ अनकही भी कह जाऊं
इसी लिए सब सहता हूं
-संजय ग्रोवर
या तो मैं सच कहता हूं
या फिर चुप ही रहता हूं
बहुत नहीं तैरा, लेकिन
ख़ुश हूं, कम ही बहता हूं
डरते लोगों से डर कर
सहमा-सहमा रहता हूं
बाहर दीवारें चुन कर
भीतर-भीतर ढहता हूं
कुछ अनकही भी कह जाऊं
इसी लिए सब सहता हूं
-संजय ग्रोवर